कुम्भ नगरी प्रयागराज के प्रशांत मिश्र से मिला लोकपाल को लोगो

प्रयागराज। प्रयागराज के कीडगंज निवासी रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर प्रशांत मिश्र ने 'उड़ान' (उड़े देश का आम नागरिक) योजना के लिए भी लोगो बनाया है। दिल्ली में इनाम और प्रशस्ति पत्र मिलने के बाद प्रशांत मिश्र ने दैनिक जागरण को बताया कि 15 दिनों में उन्होंने यह लोगो डिजाइन किया था। कई और लोगो डिजायन किए हैं, जो विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में शामिल हैं। प्रशांत के मुताबिक जब वह लोगो बना रहे थे तब उनके दिमाग में केवल इतना ही था कि वह (लोगो) ऐसा हो कि न्याय का प्रतीक लगे और देखते ही आकर्षित कर ले। दीपावली के बाद उनके पास दिल्ली से फोन आया कि उनका लोगो चयनित हो गया है।



प्रशांत ने गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज से 2008 में बीटेक की उपाधि हासिल की। दो साल तक एचसीएल में नौकरी की, फिर 2012 में रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजीनियर पद पर चयनित हुए। इस बीच आइआइटी कानपुर में मास्टर इन डिजाइनिंग के लिए भी चयन हो गया था। लेकिन उन्होंने रेलवे की नौकरी को चुना। दो साल तक कोचिंग डिपो में सेवा दी। 2014 से डीआरएम कार्यालय में यांत्रिक विभाग में उनका तबादला हो गया। अभी वहीं पर तैनात हैं। भ्रष्टाचार रोकथाम संस्था 'लोकपाल' को लोगो और मोटो-स्लोगन मिल गया है। कार्मिक मंत्रलय ने मंगलवार को बताया कि एक खुली प्रतियोगिता में 6,000 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुईं। प्रविष्टियां 13 जून तक मांगी गई थीं और विजेता को 25,000 रुपये नकद देने की घोषणा की गई थी। खुली प्रतियोगिता के तहत देश के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न आयु वर्ग के लोगों से लोगो के लिए 2,236 और मोटो-स्लोगन के लिए 4,705 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं।


लोगो के लिए डिजाइन का चुनाव प्रविष्टियों में से किया गया। तीन चरणों की चयन प्रक्रिया में प्रयागराज के प्रशांत मिश्र की डिजाइन को लोगो के रूप में चुना गया। तीन रंगों में लोगो लोकपाल के राष्ट्रीय भाव का प्रतिनिधित्व करता है।कार्मिक मंत्रलय ने कहा है कि मोटो-स्लोगन के लिए किसी भी प्रविष्टि को उपयुक्त नहीं पाया गया और खुद लोकपाल द्वारा ही चुनाव किया गया। मंत्रलय ने कहा कि प्रतियोगिता में किसी भी प्रविष्टि को उपयुक्त नहीं पाने पर लोकपाल ने अपनी पूर्ण पीठ की बैठक में मोटो-स्लोगन तय करने का फैसला लिया।


यह फैसला अपने इनपुट और 17 अक्टूबर को हुई चर्चा के आधार पर लिया गया है। लोकपाल ने अपने मोटो-स्लोगन के रूप में 'ईशावास्योपनिषद' के एक श्लोक को स्वीकार करने का फैसला लिया।प्रशांत के पिता सूर्य नारायण मिश्र नेशनल टेक्सटाइल कार्पोरेशन से सेवानिवृत्त हैं। उनका मां निर्मला मिश्र सिरसा स्थित जिला पंचायत बालिका इंटर कॉलेज से प्रधानाचार्य पद से मार्च 2019 में सेवानिवृत्त हुई हैं। बड़े भाई अलोक मिश्र प्राइमरी स्कूल में हेड मास्टर हैं। दो बड़ी बहनें हैं। पत्नी रुबी गृहिणी हैं।